Tuesday, March 20, 2012

हर उस कविता में टीवी के विज्ञापन और बाकी घिसी पिटी चीजें भर दी जाएँ


जिसे कभी लिखा नहीं जाना चाहिए था

और हर उस कविता को ख़त्म कर दिया जाए

जिसके अलावा कोई कविता कभी नहीं लिखी जानी चाहिए थी

जबतक दूध में मिला हुआ पानी न माने हार

तब तक पानी के अलावा कुछ न बचे

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