tag:blogger.com,1999:blog-8505534009036222361.post3693987112001336939..comments2023-04-13T09:05:02.733-07:00Comments on नवागंतुक: हाथ होते गर हजारोंAlok Shankarhttp://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8505534009036222361.post-63044732244505062462007-06-06T06:21:00.000-07:002007-06-06T06:21:00.000-07:00आप तो बहुत सुंदर लिखते है...आदमी के विचारो की उड़ान...आप तो बहुत सुंदर लिखते है...आदमी के विचारो की उड़ान क्या कहने...बहुत ही सटिक लिखा है...<BR/><BR/>आदमी यह सोचता है, काश अपने पंख होते,<BR/>तो गगन में उड़ रहे हम खग-सदृश निःशंक होते <BR/><BR/>और फ़िर एक सन्देश देती रचना भी है...<BR/><BR/>नीति यह कहती नहीं है हारकर पथ छोड़ देना,<BR/>श्रेय है तब राह का हर एक पत्थर तोड़ देना ।<BR/>बहुत ही उत्तम-श्रेष्ठ रचना! बहुत-बहुत बधाई...<BR/><BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.com