शहीद
कल बड़े उजाड़ होते हैं
और
होती है उनमे
जर्जर और वीरान खामोशी
कब्रिस्तान की तरह
जिनमें दबे होते हैं
कई प्रश्न
जिनकी कब्रों पर उगे होते हैं
हजारों उत्तर
चीखते और गुर्राते हुए
लाल लाल खून भरी आँखों से
बताते हुए
खामोश प्रश्नों का हश्र -
और
हैरान परेशान
आज ही जन्मे प्रश्न
ताकते हैं मेरी तरफ
उत्सुकता और भय से
भरी आँखों से
मैं
मुस्कुरा देता हूं
और डाल देता हूं
कब्र में दबे किसी प्रश्न में
अपने प्राण -
जानता हूँ , खतरा बहुत बड़ा है
आत्मघाती है
लेकिन जरुरी है
जिंदा रहना
प्रश्नों की पुरानी पीढी का
ताकि जिंदा रहे
आज की पीढी की उम्मीद -
2 comments:
taaki zinda rahe aaj kipeedhi ki ummeed
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
Bhaav Bahut Sundar hain...
Shubhkaamnayen!
Regards
Ram K Gautam
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