Thursday, June 20, 2013

जो स्वर्गों में बने हैं बाँध, उनपर हैं बड़े पहरे 
तुम्हारे और हमारे सब अँधेरे हैं वहीँ ठहरे 
न मानो तुम मगर, सब उनके सच भी हैं बड़े नंगे 
ये बूँदें उनके लोहू की नयी रिसती नुमाइश है 

किसी बारिश में तुम भींगो,
तो रुक कर सोचना एक पल
कि किन सदियों की बूँदें हैं
ये किस मौसम की बारिश है

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Friday, June 14, 2013

डर

तब सबसे बड़े डर वे थे 
जिनमें धरती फट जाती 
और हम खड़े होते दोनों किनारों पर -
बस इतना याद है 
कि तब हमें किस चीज से डर लगा था 
हमारे आने वाले डर अजनबी हैं

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Tuesday, June 4, 2013

ख़ुशी और जीत

खलिहानों में अंतड़ियाँ 
भूखी हैं , पर वीरान नहीं ,
रोटियों की कीमतें चढ़ गयीं हैं 
पर भूख में इतनी जान नहीं -
सुनते हैं,जो भी एवेरेस्ट पर चढ़ा ,
अकेलेपन से मर गया

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Tuesday, March 20, 2012

हर उस कविता में टीवी के विज्ञापन और बाकी घिसी पिटी चीजें भर दी जाएँ


जिसे कभी लिखा नहीं जाना चाहिए था

और हर उस कविता को ख़त्म कर दिया जाए

जिसके अलावा कोई कविता कभी नहीं लिखी जानी चाहिए थी

जबतक दूध में मिला हुआ पानी न माने हार

तब तक पानी के अलावा कुछ न बचे

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Sunday, September 19, 2010

प्रतिध्वनि

किसी आश्वस्त घाटी में कभी आवाज यदि गूँजे
समझना यह तुम्हारी ही प्रतिध्वनि लौट कर आयी ।
यही आवाज जिसकी धार धड़कन तक पहुँचती है
उसी का वेग, पत्ते-सी हिली जो आज परछाईं ।

हमेशा याद के कोमल गलीचों पर धमकती है
किसी तलवार से है चीर देती रोज तनहाई
बड़े भारी कदम इसके, हृदय पर पड़ रहे हैं रे !
कि इसकी चोट से बह पीर आँखों से निकल आई ।

हमारी प्यास से क्यों होंठ धरती के फ़टे जाते
हमारी भूल की कैसे भला उसने सज़ा पाई ?
बड़ा निर्वात है रे आज भीतर के अहाते में !
बहा कर ले गये हो तुम न जाने कहाँ पुरवाई ।

बिछा कर नींद सोते थे हम अपनी आँख के नीचे
न जाने किरकिरी कैसी फ़िसलकर आँख में आई ,
तुम्हारे चैन के आगे कहीं पत्थर पड़ा होगा
तभी आवाज़ अपनी लौटकर वापस चली आई ।

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Monday, September 6, 2010

रात

रात
पिघल रही है -
धीरे धीरे
देखते हैं ,
सूरज में गर्मी कितनी है |

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Tuesday, April 20, 2010

ये खराश-ए-दिल है क्यों

ये खराश-ए-दिल है क्यों , हैं निगाहें लहूलुहान
कल शब् तो गुल खिले थे इधर , ईदगाह थे

मेरा ही तो दिल नहीं है कि जिसपर सितम हुए
तब उनकी निगाहों से जमाने तबाह थे

सब वक्त लुट गया मेरा , एक पल भी ना रहा
एक दौर था कि हम भी बड़े बादशाह थे

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