कविता
प्रस्तर -तनुजा , तन्वि -स्नेहिल सरिता
भाव भर - भर भार ढोती - कल्पना ;
नीरसा रसभरी , शीतल ऊष्णता
शशिकला , कमनीयता -कोमल कली की |
रेत पर बह्ती सुशीतल गीतिका -
सप्त रव , रंगीन रश्मि - विभा
काम तरु का गरल फल , निष्काम;
घटा में घट भर भरी श्यामल प्रभा
स्वस्ति सुधा , विहग व्रती की |
भाव भर अभाव , नेत्र - धारा सार
ह्रिदय वीणा- क्लेष राग रव,
श्रान्त चरण चपल , विकल चक्षु
तोष , त्रिप्ति - मरीचिका -सैकत पथी की|
ताप ,तेज - नित नया भानु रचती
सुप्त बुत -बेकल नयन में
सृष्टि- सारा, अश्रु धारा - लोल लहरें
प्रलयदा हुंकार - दलित यती की |
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