Monday, March 23, 2009

शहीद

कल बड़े उजाड़ होते हैं
और
होती है उनमे
जर्जर और वीरान खामोशी
कब्रिस्तान की तरह
जिनमें दबे होते हैं
कई प्रश्न
जिनकी कब्रों पर उगे होते हैं
हजारों उत्तर
चीखते और गुर्राते हुए
लाल लाल खून भरी आँखों से
बताते हुए
खामोश प्रश्नों का हश्र -
और
हैरान परेशान
आज ही जन्मे प्रश्न
ताकते हैं मेरी तरफ
उत्सुकता और भय से
भरी आँखों से
मैं
मुस्कुरा देता हूं
और डाल देता हूं
कब्र में दबे किसी प्रश्न में
अपने प्राण -
जानता हूँ , खतरा बहुत बड़ा है
आत्मघाती है
लेकिन जरुरी है
जिंदा रहना
प्रश्नों की पुरानी पीढी का
ताकि जिंदा रहे
आज की पीढी की उम्मीद -

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