Wednesday, August 15, 2007

देश पर निज प्राण के जो पुष्प न्यौछावर करे
जो कफ़न का ओढ़ चोला देश पर ही मिट मरे
उस तनय के जनक द्वय को नमन बारंबार है
जो गँवाकर प्राण करता देश का शृंगार है ।"

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