भीष्म
आदित्यों का तेज़, घनी छाया जिसको करता है
जिसकी धनु की प्रत्यंचा से निखिल भुवन डरता है
देवों का देवत्व ,नमन जिस नरता को करता है
कालजयी ,उस आदि पुरुष को मनुज कौन कहता है?
नहीं मनुज तुम भीष्म , मनुजता की तुम नव आशा हो
निष्ठा , भक्ति, प्रतिग़्या -पालन की कोई भाषा हो।
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